Tuesday, November 9

सत्ता का भोग

सोनिया की सार्वजनिक छवि भले ही सरल व राजनीति की छलकपट भरी दुनिया से अपरिचित किसी महिला की हो, वे या उनके सहयोगी बड़ा नपा तुला खेल खेल रहे हैं। देखा जाये तो प्रियंका की राजनैतिक सफलता पर लोग और काँग्रेसी कार्यकर्ता अधिक आश्वस्त होते, उन्हें आगे करना ज़्यादा आसान होता। पर सोनिया प्रियंका को कीचड़ से दूर रखना चाहती हैं,  बड़े राजनेताओं के सानिध्य में रहकर सोनिया संयमित कदम उठाना सीख चुकी हैं। जब राहुल ने शुरुवात की तो वे रूखे और गैरपेशेवराना लगते थे, जो मुँह आया बोल देते थे। गये महीनों में उन्होंने कम बोलना और ज्यादा मुस्कराना सीख लिया है। राजनीति में चुप्पी का भी महत्व होता है। सोनिया ने सही मोहरे को आगे किया है और बखूबी सत्ता के केंद्र से दूर रहकर रिमोट सत्ता का सुख भोग रही हैं। राजनीति के मैखाने में रहकर मदिरा का स्वाद लेने की मजबूरी हो जाती है।

काँग्रेसी राजनीति की इस उथलपुथल में दल के नेताओं में बैचेनी काबिज है। राजनैतिक वनवास भोग रहे नटवर सिंह ने शगूफा छोड़ा कि अब उम्रदराज़ नेताओं को पद छोड़ कर नये लोगों को मौका देना चाहिये। बहुत अनुनय की थी आलाकमान से कि, “मैडमजी मोरे अवगुन चित्त न धरो”, पर पद जाता रहा।  कुर्सी जाने के बाद, उम्र के इस पड़ाव में ऐसे ख्याल अक्सर आने लगते हैं। व्हील चेयर से जकड़े अजीत जोगी जैसे नेताओं की राजनैतिक महत्वाकांक्षा पर भी कुठाराघात हुआ, “राहुल जैसे गैर अनुभवी को आगे करने का क्या मतलब?” तुरंत गुहार लगा कर कहा की सोनिया बने प्रधानमंत्री। अंदाज़ था कि गाड़ी के पहिये में लाठी अड़ाकर राजनैतिक अविश्वास की ज्वाला भड़का देंगे पर आलाकमान की फटकार से दुबक कर बैठ गये।

युवाओं को सामने लाने की हर ऐसी बात पर हर पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की सिट्टी पिट्टी गुम हो जाती है। जब तक खाट न पकड़ लें भाजपा में भी आडवाणी के समानान्तर या उपर कोई नहीं। राजनाथ सिंह मनमोहन सिंह जैसे प्रॉक्सी पद से संतोष कर रहे हैं। समय रहते कुछ  पाने की आकांक्षा अति प्रबल हो तो फिर उमा भारती जैसे नई पार्टी बनानी पड़ती है या फिर “बहन” मायावती जैसे अपने बड़े नेता को बीमार बता कर उन्हें हाउस अरेस्ट में रख पद हथियाने का कुकर्म करना पड़ता है।


पके फल करुणानिधि पुनः सत्ता का भोग लगाने बैठे हैं, मधुमेह के रोगी की मीठा खाने की इच्छा जैसा है यह सत्ता सुख भोगने का शौक। शौक जो करूणानिधि जैसे धुरंधर नेताओं और सोनिया जैसी अनुभवहीन, किसी को भी अफीम की लत की तरह लग सकता है।


DEEPIKA

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